प्रयोजन :- इस विधि से आपके नामानुसार शहर का चुनाव करना एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिससे ज्ञात होता है कि आपके नाम का प्रभाव किस शहर के नाम के साथ सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता और किस शहर के नाम के साथ नकारात्मक प्रभाव का निर्माण करता है।
वर्ग अनुसार चयनित करने से हम उन्हें ही शहरों का चुनाव करते हैं जो हमारे लिए उपयुक्त होता है शत्रु वर्ग के नाम से शहर का चुनाव हमारे लिए नुकसानदायक होता है।
यह प्रणाली प्राचीन काल से चल चली आ रही है और इसी प्रणाली के अनुसार व्यक्ति व्यवसाय के लिए अपना शहर का चुनाव करता है।
इस विधि का प्रयोग केवल आजिविका के लिए शहर अथवा क्षेत्र का चुनाव करने के लिए करें। शिक्षा ग्रहण तथा यात्रा में यह नियम लागू नहीं होता है
वर्गों के अनुसार दिशा क्षेत्र का चुनाव मनुष्य एक तत्व निर्मित पिंड है और इसका सांसारिक परिचय इसके नाम के अनुसार होता है। जब इसको इसके नाम से पुकारा जाएं तो यह अपनी प्रतिक्रिया देता है। इसका अर्थ है कि यह तत्व निर्मित पिंड अपने नाम से नियंत्रित है।
इसका नाम जैसी ऊर्जा उत्पन्न करता है उस व्यक्ति के स्वभाव में भी वैसी ऊर्जा बनी रहती है। और उस ऊर्जा के अनुसार ही संसार में अन्य नाम वाले मित्र तथा शत्रु जैसे स्वभाव का प्रदर्शन करते हैं। जैसे हम किसी का नाम लेते हैं तो उस नाम से संबंधित उसकी उर्जा संग्रहित होती है। जो नाम है आपका उसे नाम का पहला अक्षर जिस वर्ग में आता है उस व्यक्ति के स्वभाव में नामाक्षर वर्ग जैसी पहचान होती है । आपका वर्ग किसके साथ कैसा स्वभाव रखना है वह उस वर्ग के रूप में हमें पता चलता है जैसे प्रथम वर्ग गुरुड़ वर्ग है उसकी प्रकृति है आसमान से शिकार को पकड़ना तथा दूर दृष्टि रखना और इससे पांचवा वर्ग सांप का है तो यह सांप का शिकार करता है। यह वर्ग दोनों आपस में शत्रुता रखते हैं।
इस संसार में प्रत्येक ऊर्जा की विपरीत ऊर्जा होती है जैसे हम कई बार किसी व्यक्ति को देखते हैं और वह हमें ना पसंद होता है इस प्रकार नाम का प्रभाव भी होता है। इन नाम को वर्ग अनुसार बांटा गया है जिस वर्ग में आपका नाम का पहला अक्षर आता है उसे वर्ग से पांचवा वर्ग आपका शत्रु वर्ग है उसे वर्ग में आने वाले अक्षरों के अनुसार शहर के नाम देखें यह शहर आपके लिए अशुभ फलदाई होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कौन सा शहर आपके लिए शुभ फलदाई होगा और कौन सा शहर आपके लिए नुकसानदायक होगा इसके लिए मनीराम पंचांग से पहले वर्ग श्रृंखला दी हुई है उसे वर्ग श्रृंखला के अनुसार हर पांचवा वर्ग आपस में शत्रु होता है जिस वर्ग के अक्षर शत्रु वर्ग में आते हैं उन शहरों में नहीं रहना चाहिए ।
प्रथम वर्ग गुरूड। अ,इ,उ,ए,ओ — शत्रु वर्ग —– पंचम वर्ग सर्प (सांप ) त,थ,द,ध,न।
द्वितीय वर्ग बिलाव। क,ख,ग,घ,ड़। — शत्रु वर्ग —– षष्ठ वर्ग मुषक (चुका ) प,फ,ब,भ,म।
तृतीय वर्ग सिंह । च,छ,ज,झ। — शत्रु वर्ग —– सप्तम वर्ग मृग (हिरण ) य,र,ल,व।
चतुर्थ वर्ग स्वान (भेड़िया) ट,ठ,ड,ढ,ण। — शत्रु वर्ग —– अष्टम वर्ग मेष (भेड़ ) श,ष,स,ह।
पंचम वर्ग सर्प (सांप ) त,थ,द,ध,न। — शत्रु वर्ग —– प्रथम वर्ग गुरूड। अ,इ,उ,ए,ओ
षष्ठ वर्ग मुषक (चूहा ) प,फ,ब,भ,म। — शत्रु वर्ग —– द्वितीय वर्ग बिलाव। क,ख,ग,घ,ड़।
सप्तम वर्ग मृग (हिरण ) य,र,ल,व। — शत्रु वर्ग —– तृतीय वर्ग सिंह । च,छ,ज,झ।
अष्टम वर्ग मेष (भेड़ ) श,ष,स,ह। — शत्रु वर्ग —– चतुर्थ वर्ग स्वान (भेड़िया) ट,ठ,ड,ढ,ण।