Where is the mirror in the house

घर में दर्पण किस दिशा क्षेत्र में होना चाहिए?

घर में दर्पण किस दिशा क्षेत्र में होना चाहिए?दर्पण का प्रयोजन घर में मनुष्य अथवा घर की औरतें अपने आप को सिंगार करने के लिए काम में लिया जाता है प्राचीन काल घर में एक छोटा दर्पण हुआ करता था । दर्पण जल तत्व का प्रतीक है जैसे हम पृथ्वी पर पानी गिराते हैं तो…

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भुमि की शल्य शोधन क्रिया।

भुमि की शल्य शोधन क्रिया । शल्य शोधन एक ऐसी क्रिया है जिसमें भूखंड के अंदर दबी हुई नकारात्मक ऊर्जा को बनाने वाली वस्तुएं भूखंड से बाहर निकाली जाती है। शल्य हड्डियों को कहा जाता है । भूखंड में दबी हुई मृत पशु कि हड्डियों को निकालने के लिए किया जाता है।

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Purification of a newly constructed house.

नवनिर्मित घर का शुद्धिकरण ।

नवनिर्मित घर का शुद्धिकरण । ——————— नवनिर्मित घर में शुद्धिकरण से अभिप्राय है कि जब भवन का निर्माण होता है तब निर्माण क्रिया के समय भवन निर्माण करने वाले कारीगर भी अर्ध निर्मित भवन में अपना भोजन और अपने जीवन से संबंधित सभी क्रियाएं वहां करते हैं। जबकि यह अनुचित है भवन निर्माण करते समय…

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Neev sthapna muhurat samagri i

नींव स्थापना मुहूर्त में उपयोगी सामग्री ।

नींव स्थापना मुहूर्त में उपयोगी सामग्री ।दीपकगाय का शुद्ध घीकलशनारियलधातु से बने नाग ओर नागीन ( इच्छा अनुसार तांबा, चांदी व अन्य धातु से बने)सात प्रकार का अनाज ।हल्दी गांठ -5सुपारी – 2लोंग, इलाइचीरोलीमोलीचावल।प्रसादपुष्प, दुर्वागाय कि बछिया का मूत्र इस समय एक बात का विशेष ध्यान रखें। नींव स्थापना करते समय क्षेत्र में शांति बनी…

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Identifying the land

भूमि की पहचान करना।

भूमि की पहचान करना । हमारे ऋषि मुनियों ने भूमि की पहचान करके इन्हें चार भागों में बांटा हुआ है।प्रथम श्रेणी में ब्राह्मण भूमि, द्वितीय श्रेणी क्षत्रिय भूमि, तृतीय श्रेणी शुद्र भूमि और चतुर्थ श्रेणी वैश्य भूमि ।

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Which city is auspicious for you?

कोन सा शहर आपके लिए शुभ फलदायक है।

प्रयोजन :- इस विधि से आपके नामानुसार शहर का चुनाव करना एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिससे ज्ञात होता है कि आपके नाम का प्रभाव किस शहर के नाम के साथ सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता और किस शहर के नाम के साथ नकारात्मक प्रभाव का निर्माण करता है। वर्ग अनुसार चयनित करने से हम उन्हें…

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Vasstu prichay

वास्तु शास्त्र परिचय।

  वास्तु शास्त्र परिचय । वास्तु शब्द का शाब्दिक अर्थ बसने योग्य क्षेत्र है । वास्तु शास्त्र की सामान्यतः परिभाषा में स्थान तत्व में समाहित पंच तत्वों कि व्यवस्था से है। क्योंकि व्यवस्था अपने आप में एक सार्थक शब्द है किन्तु वास्तु शास्त्र अपने मौलिक अर्थ में पंच तत्वों कि जागृति है। अर्थात स्थान के…

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