घर में शौचालय किस दिशा क्षेत्र में होना चाहिए ?

In which direction should the toilet be located at

जब जीवन उपयोगी इस शास्त्र वास्तु शास्त्र कि रचना हुई तो उसमें घर में शौचालय बनाने से संबंधित कोई प्रमाण नहीं मिलता लेकिन शौचालय क्रिया घर से उचित दूरी पर होनी चाहिए इसके लिए आयुर्वेद में लेख जरूर मिलते हैं। जब वास्तु शास्त्र लिखा गया तब घर पर मंदिर तथा शौचालयों के बनाने का कोई भी प्रमाण नहीं मिलता। बल्कि कुछ लेखों को अध्ययन करने पर ये पाया गया कि घर में शौचालय तथा मंदिर के निर्माण को निषेध बताया गया है।
घर में शौचालय तथा मंदिर का निर्माण नाकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करते हैं।

शौचालय एक ऐसा क्षेत्र है जहां विसर्जन से संबंधित क्रियाएं होती हैं और वहां नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती रहती है घर के आवरण में शौचालय पहले नहीं बनाते थे। लेकिन वर्तमान समय का मनुष्य भौतिक परिवेश में ढल चुका है तथा जरूरत के अनुसार घर में ही शौचालय बनाता है ।

प्राचीन काल में घरों में उस समय जो क्षेत्र खराब सामग्री ,रसोई का कचरा फेंकने की जगह तथा बच्चों के मल विसर्जन के लिए बनाई हुई जगह में ही शौचालय निर्माण का विकल्प है।

वास्तु शास्त्र में कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां विसर्जन क्रियाएं करने के क्षेत्र सुनिश्चित किए हुए थे आज के समय उसी दिशा क्षेत्र में शौचालय बनाए जाते हैं।
शौचालय में विसर्जन से संबंधित क्रिया की जाती है यह क्रिया किसी भी क्षेत्र में की जाए तो उस दिशा क्षेत्र की ऊर्जा को भी विसर्जन करती है। इसलिए यह क्रिया उन्हीं क्षेत्रों में की जाती है जहां विसर्जन से संबंधित क्रिया होती है।
हमारे घर में 16 दिशा क्षेत्रों के समूह होते हैं और उनकी क्षमताओं एवं ऊर्जा से संबंधित इनकी अपनी विशेष पहचान होती हैऔर इन दिशा क्षेत्रों में उनकी पहचान की अनुसार ही क्रिया की जाए तो वह शुभ फलदाई होती है अन्यथा नकारात्मक उर्जा का प्रभाव घर में बढ़ने लग जाता है।

घर में शौचालय किस दिशा क्षेत्र में होना चाहिए इसकी विशेष पहचान हम प्रत्येक दिशा क्षेत्र के अनुसार करते हैं। 16 दिशा क्षेत्रों के अनुसार घर में शौचालय प्रभाव इस प्रकार हम पर पड़ता है।

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