घर के मुख्य द्वार पर कैसे प्रतीक होने चाहिए ?

Which symbol should be there on the main door

घर के मुख्य द्वार पर कैसे प्रतीक होने चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार मैन गेट या मुख्य द्वार पर क्या-क्या होना चाहिए ?

मुख्य द्वार घर का वह क्षेत्र है जहां से घर के अंदर प्रवेश किया जाता है और जब हम बाहर से आते हैं तो हमारे साथ नकारात्मक उर्जा भी विचारों के रूप में हमारे घर में प्रवेश करती है । हमारी सनातन संस्कृति में मुख्य द्वार पर सकारात्मक कॉन की स्थापना करना यह शुरुआत से ही हमारी परंपराओं के साथ जुड़ा हुआ है मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक एवं ओम का प्रतीक लगाने से नकारात्मक पहुंच जाएं घर में प्रवेश नहीं करती।

घर पर लगे सकारात्मक ऊर्जा के प्रतीक हमें नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखते हैं जब कोई भी व्यक्ति घर के अंदर प्रवेश करता है तो वह सर्वप्रथम घर के मुख्य द्वार पर लगे साकारात्मक ऊर्जा के प्रतीकों को देखता है जिससे उसकी मानसिकता साकारात्मक प्रभाव ग्रहण करती है। जिससे उसके व्यवहार में साकारात्मकता वृद्धि होती है।

प्रवेश द्वार में शुभ संकेत सुस्वागतम स्वास्तिक का निर्माण तथा ओम का निर्माण एवं शुभ लाभ के प्रतीक शुभ फलदाई होते हैं इसके अलावा मुख्य द्वार पद पर किसी देवता के चित्र नहीं लगाने चाहिए क्योंकि मुख्य द्वार पर हम अपने दरबान को खड़ा करते हैं जिससे घर के अंदर आने वाले व्यक्ति पर नजर रखी जा सके। जब कोई भी व्यक्ति प्रवेश कर सकते हैं जिसके लिए हम उसे आदेश दे। घर के बाहर या मुख्य द्वार पर हम अपने सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाता है।जो हमारे आदेशों पर काम करते हैं।

और जब मुख्य द्वार पर हम अपने पुजनीय देवताओं के चित्र लगाते हैं तो हम उनको अपने कर्मचारियों कि जगह स्थापित करते हैं तो हम उनका अपमान कर रहे होते हैं।

वास्तु शास्त्र के प्राचीन ग्रंथों में मुख्य द्वार पर केवल सुभ संकेतों को स्थापित करने के लिए कहा गया है।ये देवताओं को मुख्य द्वार पर स्थापित करना यह किसीअ अज्ञानी के निजी विचार हो सकते हैं।
मुख्य द्वार मैन गेट से संबंधित कोई वास्तु दोष हो तो इसका निदान द्वार पद के आधार पर होता है ना कि किसी देवता का चित्र लगाकर।

गणेश जी को बुद्धि का देवता माना जाता है अगर बुद्धि के देवता घर से बाहर स्थापित करके उनको कर्मचारी के रूप में रखा जाएगा तो बुद्धि विकसित नहीं बल्कि भ्रष्ट होती है।

वैसे भी घर में कोई देवता का बड़ा चित्र नहीं रखना चाहिए । कुछ जगहों पर अज्ञानता वंश दक्षिण दिशा का मुख्य द्वार होने पर घर में रहने वाले लोगों को भ्रमित किया जाता है ओर उनके मन में भय को बढ़ाया जाता है और निदान के लिए हनुमान जी का चित्र मुख्य द्वार पर स्थापित करवाया जाता है यह गलत उपचार है।
वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा के द्वारा पद होने का ऐसे उपचार कहीं पर भी नहीं लिखा गया यह अज्ञानी लोगों की अपनी मर्जी का उपचार है।। हनुमान जी का चित्र मुख्य द्वार के आगे लगाना हनुमान जी का अपमान करना होता है ऐसे उपाय साकारात्मक परिणाम देने कि बजाएं नाकारात्मक परिणाम देते हैं।

द्वारपद मुख्यद्वार पर प्रतीक।

प्रवेशद्वार के प्रतीकों पर विचार:-
घर के प्रवेश द्वार पर गणेश जी या अन्य कोई देवता का चित्र ना लगाएं।
घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक तथा ओउम का प्रतीक हि लगाएं ।ये दोनों प्रतीक साकारात्मक ऊर्जा के वाहक है।शदियों से इनका प्रयोग साकारात्मक ऊर्जा तथा मांगलिक कर्मो मे होता रहा हैं। इसके अतिरिक्त स्वागत मुद्रा का कोई भी चित्र लगा सकते हैं।
मुख्य द्वार के आगे हमारे द्वारा नियुक्त तथा नियत्रित व्यक्ति खड़ा होता है। जो हमारे आदेशों का पालन करता है ।
हमें जिस से नहीं मिलना हो उस व्यक्ति के लिए हम अपने दरबान को बोलते हैं कि इसको अंदर ना आने दें ।

तथा जिस व्यक्ति से मिलना चाहते हैं उसके लिए उसको बोलते हैं कि उसे अंदर आने दें।
और दरबान की जगह पर किसी देवता का चित्र लगाना ना समझी हैं।
हम हर मांगलिक कार्यक्रमो में तथा किसी भी कार्य कि शुरुआत मे
गणपति जी गणेश जी को सर्वप्रथम मनाते हैं। बुद्धि के दाता मानते हैं अगर बुद्धि के दाता को हम दरबान की जगह पर बैठा दें तो बुद्धि तो हमारे घर से बाहर ही रहेगी। गणेश जी का स्थान होता है घर के अंदर ।
घर से बाहर दरबान की जगह पर गणेश जी को स्थापित ना करें।
प्रवेश द्वार पर हमेशा साफ सफाई रखनी चाहिए तथा प्रवेश द्वार के नजदीक कचरा जमा ना होने दें प्रवेश द्वार में कोई छिद्र नही होना चाहिए।

मुख्य द्वार पर स्वास्तिक ओम के प्रतीक लगा सकते हैं तथा स्वागत करता की मुद्रा में किसी भी प्रतीक को लगा सकते हैं।
मुख्य द्वार पर दिशा के रंग के अनुसार बंदरवाल लगा सकते हैं।
मुख्य द्वार पर घर में प्रवेश करने से पहले पांव पूछने का आसन जरूर लगाएं।