घर में किसी भी बनावटी और का प्रभाव हमारी मस्तिष्क पर उसके रंग रूप की प्रकृति के अनुसार पड़ता है।
घर में आत्मा से जुड़े रिश्तो के आधार पर जीवन जिया जाता है घर में रहने वाले सदस्यों के रिश्ते रहने वालों से आत्मीयता से जुड़े रहते हैं एक दूसरे की जरुरत तथा एक दूसरे की भावना को समझते हैं घर में रिश्ता आत्मा से जुड़ा होना चाहिए तभी सुख का आधार बन पाता है।
घर में रखी बनावटी सुंदरता से हमारे स्वभाव पर भी दिखावटी प्रभाव में वृद्धि होती है हम केवल अपने रिश्तो को औपचारिकता के आधार पर निभाने लग जाते हैं जिसे दिल के रिश्तो में दूरियां बनने लगती है घर का आवरण बिल्कुल साधारण रखना चाहिए। जरूरत के अनुसार वस्तुएं होनी चाहिए।
इस विषय को जानने से पहले हम जानते हैं घर में किसी भी प्रतीक का प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर कैसे पड़ता है।
मुख्य तौर पर हमारे मस्तिष्क को दो हिस्सों में बांटा गया है चेतन मन और अवचेतन मन।
चेतन मन कि कार्य प्रणाली आधुनिक समय के साथ जो ओपचारिक भाषा और सामाजिक ज्ञान के आधार पर यह अपना व्यवहार करता है।
और अवचेतन मन कि कार्य प्रणाली हैं प्रतीकों के आधार पर बनने वाली आकृति को पहचान कर आकृति से बनने वाले आवरण के अनुसार व्यवहार करता है। यह आवरण को प्रतिको की भाषा में ही समझता है और अपने विचारों को भी जरूरत पड़ने प्रतीकों की भाषा में ही समझाता है।
जब आपकी भाषा सामने वाले व्यक्ति समझने नहीं आती है तो आप तुरंत उस विषय को आकृति बनाकर समझाने लगते हैं। जब आप ऐसे किसी क्षेत्र में है जहां आपकी भाषा को सामने वाला कोई नहीं है और आपको पानी पिना है तो आप हांथ से इशारा करके पानी मांगते हैं। यह स्थिति अपने आप बन जाती है इस अभ्यास आप पहले नहीं करते हैं। सामने वाले व्यक्ति को इशारों में समझाने तथा आकृतियों को समझने कि विशेषता केवल अवचेतन मन ही समझता है।
आपके घर में बनने वाले प्रतीक कि आकृति कि प्रकृति के अनुसार प्रभाव आपके अवचेतन मन पर पड़ता है।
आवरण के रूप रंग भी प्रभावित कर अवचेतन मन को प्रभावित कर हमारे स्वभाव का निर्माण करता है । हमारे घर में रखे प्रतीकों की आवर्ती के अनुसार हमारा अवचेतन मन हमारी आदतों का निर्धारण करता है। जैसे हमारे घर में किसी डरावने प्रतीकों की स्थापना घर में रहने वाले सदस्यों को डराती है वैसे ही किसी भी चित्र तथा प्रतीक कि मुल प्रकृति का मूल प्रभाव हमारे स्वभाव पर पड़ता है। क्योंकि कोई भी वस्तु का मूल प्रकृति के अनुसार ही स्वाभाव होता है और उसका वही प्रभाव दूसरों पर पड़ता है हमारे घर में जैसा चित्रा रखते हैं उसका पूरा प्रभाव हम पर वैसा ही पड़ता है जैसी प्रकृति होती है प्रतीक अनुसार ही स्वभाव का निर्माण होता है।
घर में रखे किसी भी प्रतीक या प्राकृतिक रूप तथा मनुष्य के द्वारा सजावट के लिए किया गया कृत्रिम श्रृंगार क रूप अनुसार बनने वाले प्रतीक के अनुसार हमारे स्वभाव को पुरी तरह प्रभावित करता हैं।
अधिक जानकारी के लिए पढ़ें । चेतन ओर अवचेतन मन कि कार्य प्रणाली के अनुसार।
इसी नियमानुसार हमारे घर में रखे गई कृत्रिम सुंदरता को बढ़ाने के लिए फूल और पत्तियां लगाते हैं तो इसका प्रभाव हमारे हमारे स्वभाव में भी कृत्रिमता के भावों की वृद्धि करता है ।
जिन घरों में प्रतीकों एवं सजावट का सामान ज्यादा होता है उस घर में रहने वाले सदस्यों के स्वभाव में दिखावटी स्वभाव की वृद्धि अधिक रहती है वह सब भाव वह घर में रहने वाले प्रत्येक सदस्य का होता है । वे सभी आपसी रिश्तों में औपचारिक रूप ले आते हैं। आपसी रिश्तों में जरूरत के अनुसार भावनाओं का प्रभाव मात्र होता है। घर के अंदर कृत्रिम सुंदरता नहीं होनी चाहिए यह केवल व्यवसायिक तथा समाज क्षेत्रों में होनी चाहिए।
सजावटी आवरण की जरूरत व्यवसायिक स्थलों पर ज्यादा होती है जैसे आपका व्यवसायिक स्थल को आप जितना सजाकर रखेंगे उतनी ही सामान कि बिक्री ज्यादा होती है। व्यवसायिक स्थल पर आत्मा से जुड़े रिश्तो का कोई सम्मान नहीं होती यहां केवल धन की प्राप्ति के लिए काम किया जाता है । प्रतेक दुकानदार अपने सामान को आकर्षित करने के लिए वस्तु का आकर्षण बढ़ाने के लिए उसे सजाता है और व्यवसाय का नियम है जो दिखता है वही बिकता है।
घर में संस्कारों की प्राप्ति होती है और व्यवसायिक संस्थानों में धन कमाने के गुणों कि वृद्धि है।
यह दोनो निकट नहीं होने चाहिए।